अरे कुछ नहीं, कुछ नहीं
अरे कुछ नहीं, कुछ नहीं
फिर कुछ नहीं है भाता
जब रोग ये लग जाता
मैं हूँ प्रेम रोगी
हाँ मैं हूँ प्रेम रोगी मेरी दवा तो कराओ
मैं हूँ प्रेम रोगी मेरी दवा तो कराओ
जाओ जाओ जाओ किसी वैद्य को बुला ओ
मैं हूँ प्रेम रोगी
फिर कुछ नहीं है भाता जब रोग ये लग जाता
मैं हूँ प्रेम रोगी मेरी दवा तो कराओ
मैं हूँ प्रेम रोगी
कुछ समझा कुछ समझ न पाया
कुछ समझा कुछ समझ न पाया
दिल वाले का दिल भर आया
और कभी सोचा जायेगा
क्या कुछ खोया, क्या कुछ पाया
जा तन लागे, वो तन जाने
जा तन लागे, वो तन जाने
ऐसी है इस रोग की माया
मेरी इस हालत को
हाँ मेरी इस हालत को नज़र ना लगाओ
मेरी इस हालत को नज़र ना लगाओ
ओ जाओ जाओ जाओ किसी वैद्य को बुलाओ
मैं हूँ प्रेम रोगी हाँ