[ Featuring Kishore Kumar, DJ MHD IND ]
कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे
कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे
कभी सुख कभी दुख यही ज़िंदगी हैं
ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी हैं
ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी हैं
नये फूल कल फिर डगर में खिलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे
भले तेज कितना हवा का हो झोंका
मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा
मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा
जो बिछड़े सफ़र में तुझे फिर मिलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे
कहे कोई कुछ भी मगर सच यही है
लहर प्यार की जो कभीं उठ रही है
लहर प्यार की जो कहीं उठ रही है
उसे एक दिन तो किनारे मिलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे
कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे