इश्क़ की साज़िशें, इश्क़ की बाज़ियाँ
हारा मैं खेल के दो दिलों का जुआ
क्यूँ तूने मेरी फ़ुर्सत की?
क्यूँ दिल में इतनी हरकत की?
इशक़ में इतनी बरकत की
ये तूने क्या किया?
फिरूँ अब मारा-मारा मैं
चाँद से बिछड़ा तारा मैं
दिल से इतना क्यूँ हारा मैं?
ये तूने क्या किया?
सारी दुनिया से जीत के मैं आया हूँ इधर
तेरे आगे ही मैं हारा, किया तूने क्या असर?
मैं दिल का राज़ कहता हूँ
कि जब-जब साँसें लेता हूँ
तेरा ही नाम लेता हूँ, ये तूने क्या किया?
दिल करता है तेरी बातें सुनूँ सौदे मैं अधूरे चुनूँ
मुफ़्त का हुआ ये फ़ायदा
क्यूँ खुद को मैं बरबाद करूँ?
फ़ना होके तुझ से मिलूँ
इश्क़ का अजब है क़ायदा
तेरी राहों से जो गुज़री है मेरी डगर
मैं भी आगे बढ़ गया हूँ होके थोड़ा बेफ़िकर
कहो तो किससे मर्ज़ी लूँ
कहो तो किसको अर्ज़ी दूँ
हँसता अब थोड़ा फ़र्ज़ी हूँ
ये तूने क्या किया?
(मैं दिल का राज़ कहता हूँ)
(कि जब-जब साँसें लेता हूँ...)
इश्क़ की साज़िशें, इश्क़ की बाज़ियाँ
हारा मैं खेल के दो दिलों का जुआ