दादा दादा बोल मन रे दादा दादा बोल रे
दादा ने दिया है धन अनमोल रे
दादा की कृपा से हमने आत्मज्ञान पाया है
मेरा और मैं का भेद बताया है
दादा ने दिया है दिव्यचक्षु खोल रे
दादा की कृपा से स्वरूप अनुभव में आया है
व्यवस्थित शक्ति कर्ता दादा ने समझाया है
अकर्म दशा का दिया भेद खोल रे
दादा दादा बोल मन रे दादा दादा बोल रे
दादा की कृपा से जड़ और चेतन को जाना है
मिश्रचेतन के अस्तित्व को पहचाना है
पाँच आज्ञा का कवच हमने लिया अब ओढ़ रे
दादा दादा बोल मन रे दादा दादा बोल रे
दादा ने कृपा से अक्रम लिफ्ट में बिठाया है
स्व में रहकर व्यवहार करना हम को सिखाया है
जीवन में दिया है अमृतरस घोल रे
दादा दादा बोल मन रे दादा दादा बोल रे
दादा दादा बोल मन रे दादा दादा बोल रे