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Dada Bhagwan - Buddhi Ke Dev Suno Lyrics



Dada Bhagwan - Buddhi Ke Dev Suno Lyrics
Official




बुद्धि के देव सुनो बिनती एक प्रभु बनना है मुझ को सरल
बुद्धि के देव सुनो बिनती एक प्रभु बनना है मुझ को सरल
बुद्धि ये मेरी है विपरीत
टेन्शन चिंता है इसकी प्रीत
बुद्धि ये मेरी है विपरीत
टेन्शन चिंता है इसकी प्रीत
शांति का निकला दिवाला
अब पाना मुझे छुटकारा
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
सम्यक प्रकाश धरो
उलझने डराए न हमको
उलझने डराए न हमको
कर पाएँ निर्णय सारे
जो सुकुन दे हर किसी को
जो सुकुन दे हर किसी को
मेरी मति के भ्रम का हो नाश प्रभु विपरीत बुद्धि को सौंपू मैं आज
मेरी मति के भ्रम का हो नाश प्रभु विपरीत बुद्धि को सौंपू मैं आज
खुद का लाभ मैं देखुं नहीं अब सोचूँ मैं सब का ही हित
खुद का लाभ मैं देखुं नहीं अब सोचूँ मैं सब का ही हित
सब के हित में मेरा ही हित
पॉज़िटिव रहने में मेरी ही जीत
सब के हित में मेरा ही हित
पॉज़िटिव रहने में मेरी ही जीत
हुआ ऐसा तो आनंद ही आनंद है
सफल हुए जीवन में
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
मंगल कार्य में करें
प्रभु आप ही की पहले स्थापना
प्रभु आप ही की पहले स्थापना
पूजा आपकी करें
लेते आशिष आप से काम का
लेते आशिष आप से काम का
ज्ञानी की सेवा में हम है लगे और जगत् कल्याण से हम है जूड़े
ज्ञानी की सेवा में हम है लगे और जगत् कल्याण से हम है जूड़े
विघ्न न आए प्रभु इसमें कभी रक्षा हमारी करना
विघ्न न आए प्रभु इसमें कभी रक्षा हमारी करना
देवगण हमसे प्रसन्न हो
सहायता उनकी प्राप्त हो प्रभु
प्रभु देवगण हमसे प्रसन्न हो
सहायता उनकी प्राप्त हो
भावना ज्ञानी की हो सब पूरी
रहे जाए ना अधूरी
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
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बुद्धि के देव सुनो बिनती एक प्रभु बनना है मुझ को सरल
बुद्धि के देव सुनो बिनती एक प्रभु बनना है मुझ को सरल
बुद्धि ये मेरी है विपरीत
टेन्शन चिंता है इसकी प्रीत
बुद्धि ये मेरी है विपरीत
टेन्शन चिंता है इसकी प्रीत
शांति का निकला दिवाला
अब पाना मुझे छुटकारा
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
सम्यक प्रकाश धरो
उलझने डराए न हमको
उलझने डराए न हमको
कर पाएँ निर्णय सारे
जो सुकुन दे हर किसी को
जो सुकुन दे हर किसी को
मेरी मति के भ्रम का हो नाश प्रभु विपरीत बुद्धि को सौंपू मैं आज
मेरी मति के भ्रम का हो नाश प्रभु विपरीत बुद्धि को सौंपू मैं आज
खुद का लाभ मैं देखुं नहीं अब सोचूँ मैं सब का ही हित
खुद का लाभ मैं देखुं नहीं अब सोचूँ मैं सब का ही हित
सब के हित में मेरा ही हित
पॉज़िटिव रहने में मेरी ही जीत
सब के हित में मेरा ही हित
पॉज़िटिव रहने में मेरी ही जीत
हुआ ऐसा तो आनंद ही आनंद है
सफल हुए जीवन में
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
मंगल कार्य में करें
प्रभु आप ही की पहले स्थापना
प्रभु आप ही की पहले स्थापना
पूजा आपकी करें
लेते आशिष आप से काम का
लेते आशिष आप से काम का
ज्ञानी की सेवा में हम है लगे और जगत् कल्याण से हम है जूड़े
ज्ञानी की सेवा में हम है लगे और जगत् कल्याण से हम है जूड़े
विघ्न न आए प्रभु इसमें कभी रक्षा हमारी करना
विघ्न न आए प्रभु इसमें कभी रक्षा हमारी करना
देवगण हमसे प्रसन्न हो
सहायता उनकी प्राप्त हो प्रभु
प्रभु देवगण हमसे प्रसन्न हो
सहायता उनकी प्राप्त हो
भावना ज्ञानी की हो सब पूरी
रहे जाए ना अधूरी
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
देवाधिदेव गणपति अष्टविनायक गणपति
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Writer: Dada Bhagwan
Copyright: Lyrics © O/B/O DistroKid

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Performed By: Dada Bhagwan
Language: English
Length: 5:51
Written by: Dada Bhagwan
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