भूलें जो देखे अपनी
भूलें जो देखे अपनी वो जगत में हो सके भगवान
कभी फिर ना हों वे भूलें सदा जागृत रहे भगवान
भूलें जो देखे अपनी वो
नहीं जो देह के मालिक नहीं वाणी पे मालिकीभाव
नहीं जहाँ मालिकी मन की हुए वीतराग भाव स्वभाव
भूलें जो देखे अपनी वो
गुनहगारी दिखे खुद की वो सीधी सम्यकी दृष्टि
परायों के गुनाह देखे वो उलटी है मिथ्या दृष्टि
भूलें जो देखे अपनी वो
जो देखे खुद के दोषों को जगत दे दे उसे माफी
जो देखा दोष औरों का है तब तक जीते जी होली
भूलें जो देखे अपनी वो जगत में हो सके भगवान
कभी फिर ना हों वे भूलें सदा जागृत रहे भगवान
भूलें जो देखे अपनी वो
करुणा रखने जैसा जगत किसी को दंड करना नहीं
किसी को देखें न दोषी वे दादा पूर्ण ज्ञानी अभय
भूलें जो देखे अपनी वो
जगत दोषी दिखे तब तक है भटकन चार गतियों की
सभी हैं कर्म पोटलियाँ मिटें तो शेष भगवान मैं
भूलें जो देखे अपनी वो जगत में हो सके भगवान
कभी फिर ना हों वे भूलें सदा जागृत रहे भगवान
भूलें जो देखे अपनी वो जगत में हो सके भगवान
जगत में हो सके भगवान
जगत में हो सके भगवान