परिवानी सप्राइव में किली की च्छाया में हवा आखी बरती
शापित कहानीया भय कभी न मरती
खन्डहरों में चीखों के परतिद्धोनी
खोई हुई आत्माएं निटकों के बीच
धान कर आतम का स्थान
जहां समय रुकता है बिना प्रेम के
छायाएं अन्धेर में निट्य करती
की लागनी अनंत दाकों समिटे
दिंगड के किले में अन्धेरा छाया
आत्माएं गूँजे सबने पाया
दिवारों में छपी सिसकियां सुनाई
रात की सर्दी में जाने लुटने
परतिद्धोनी निटकों के परतिद्धोनी
रात की सर्दी में जाने लुटने
बंगड के किले का डरावना हाल
जहां हल कदम है मोत का सवाल
कहते हैं यहां कोई नहीं बचेगा
यहां का साया किसी को खेर लेगा
रात में जान्दनी भी दापती है
यहां की कहानियों से दर छिपता है
शाया के तीछे जो भागे वो अंधेरों में
यहां का साया किसी को खेर लेगा
शाया के तीछे जो भागे वो अंधेरों में
हमेशा के लिए एक हो जाए
बंगड के किले का डरावना हाल
जहां हल कदम है मोत का सवाल
कहते हैं यहां कोई नहीं बचेगा
यहां का साया किसी को खेर लेगा
कूझती हवाए भूतों की पुकाः
इस किले का साया है बहत भरी भाँ
जो एक बर आया फिर लौट नहीं सका
यहां की कहां चाहिए कोई खेर देगा
यहां का साया किसी को खेर लेगा
यहां की कहानिया मात में भूली सजा
बुंगड के किले का डरावन हाल
जहां हर कदम है मोत का सवाल
कहते हैं यहां कोई नहीं बचेगा
यहां का साया किसी को खेर लेगा
गूझती हावाए भूतों की पुका
इस किले का साया है बहुत भरी भार
जो एक बार आया फिर लाट नहीं सका
यहां की कहानिया मात में भूली सजा