दिल को गम-ए-हयात, गवारा हैं इन दिनों
दिल को गम-ए-हयात, गवारा हैं इन दिनों
पहले जो दर्द था, वही चारा हैं इन दिनों
ये दिल ज़रा सा दिल, तेरी यादों में खो गया
ये दिल ज़रा सा दिल, तेरी यादों में खो गया
जर्रे को आँधियों का सहारा हैं इन दिनों
दिल को गम-ए-हयात, गवारा हैं इन दिनों
तुम आ सकों तो शब को, बढ़ा दूँ कुछ और भी
तुम आ सकों तो शब को, बढ़ा दूँ कुछ और भी
अपने कहें में सुबहो का तारा हैं इन दिनों
दिल को गम-ए-हयात, गवारा हैं इन दिनों
पहले जो दर्द था, वही चारा हैं इन दिनों