हर दर्द की ए यार दवा इश्क़ में है
जीने में मज़ा नहीं मज़ा इश्क़ में है
दिन रात खुदा को ढूढ़ते है जो लोग
कह दे कोई उनसे के खुदा इश्क़ में है
कह दे कोई उनसे के खुदा इश्क़ में है
एक पल जो मिला है तुझको जीने के लिए
एक पल जो मिला है ज़हर पीने के लिए
इस पल से चुन ले तू सदिया नाकाम
है दर्द हज़ार एक सिने के लिए
है दर्द हज़ार एक सिने के लिए
लिख देता है मस्ती में कलम जो तक़दीर
हो जाये गवरा वही कर लो तदबीर
यह कोशिशें बेकार है रोना बेकार है
बन जाए तो मिटटी नहीं पत्थर की लकीर
बन जाये तो मिटटी नहीं पत्थर की लकीर