ऐ साला
अभी अभी, हुआ यकीं
की आग है, मुझ में कहीं
हुई सुबह, मैं जल गया
सूरज को मैं, निगल गया
रूबरू, रौशनी
रूबरू, रौशनी, हे
जो गुमशुदा सा, ख्वाब था
वो मिल गया, वो खिल गया
वो लोहा था, पिघल गया
खिंचा खिंचा, मचल गया
सितार में
सितार में
बदल गया
रूबरू, रौशनी
रूबरू, रौशनी, हे
धुआँ छँटा खुला गगन मेरा
नई डगर नया सफ़र मेरा
जो बन सके तू हमसफ़र मेरा
नज़र मिला ज़रा
धुआँ छँटा खुला गगन मेरा
नई डगर नया सफ़र मेरा
जो बन सके तू हमसफ़र मेरा
नज़र मिला ज़रा