[ Featuring Shalmali Kholgade ]
ओ मिस्टर मलंग कट गयी पतंग
घर में लगी आग और दरवाज़ा बंध
ओ मिस्टर मलंग कट गयी पतंग
घर में लगी आग और दरवाज़ा बंध
क्यूँ उखड़े उखड़े हो
और मुखड़े मुखड़े को
लगा है नया रंग
दिल टुकड़े टुकड़े से
और दुखड़े वुखड़े की
खुल गयी लम्बी सुरंग
तुम धीरे धीरे धीरे धीरे राजा
कही के ना रहे
यूँ वज्ज दे वज्ज दे वज्ज दे मच गया बाजा
कही के ना रहे
तुम चाँद पकड़ने निकले
और ग्रहण लगा किस्मत को
ये टूटा दिल क्या जोड़ो
जब जोड़ ना पाए हिम्मत को
मन के भीतर तन के भीतर
है घाव गरारे देख लो
सपनो के सब उड़ गए तीतर
अब दिन में तारे देख लो
फिलहाल कोई सिटी विटी गुम
दबा के अपनी दुम
छोडो मैदान-ए-जंग
अरे घाव आपा धापी है
सब घायल साथी है
अपना मनौना गम
तुम धीरे धीरे धीरे धीरे राजा
कही के ना रहे
यूँ वज्ज दे वज्ज दे वज्ज दे मच गया बाजा
कही के ना रहे
ओ मिस्टर मलंग
ओ मिस्टर मलंग
तुम धीरे धीरे धीरे धीरे
तुम धीरे धीरे धीरे धीरे
ओ मिस्टर मलंग.