हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नही
अपना कोई ठिकाना नही
अरमानों की अंजुमन में
बेसुध हैं अपनी लगन में
अपना कोई फ़साना नहीं
अपना कोई फ़साना नहीं
ये ई ये ई ये ई ये
ओओ ओओ
ये ई ये ई ये ई ये
ओओ ओओ ओओ
ये ई ये ई ये ई ये
इक अजनबी सा चेहरा, रहता है मेरी नज़र में
इक दर्द आके ठहरा, दिन रात दर्दे जिगर में
इक अजनबी सा चेहरा, रहता है मेरी नज़र में
इक दर्द आके ठहरा, दिन रात दर्दे जिगर में
जागी है कैसी तलब सी ये आरज़ू है अज़ब सी
लेकिन किसी को बताना नहीं
लेकिन किसी को बताना नहीं
हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं
बेताबियां हैं पल पल, छाया ये कैसा नशा है
खामोशियों में सदा, होश भी गुम शुदा है
बेताबियां हैं पल पल, छाया ये कैसा नशा है
खामोशियों में सदा, होश भी गुम शुदा है
दर दर क्या घूमता है मस्ती मे क्यों झूमता है
दीवाने दिल ने जाना नही
दीवाने दिल ने जाना नही
हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं