राह का तेरे मुसाफिर हूँ
राह का तेरे मुसाफिर हूँ
संग पल पल चलता हूँ
तू जो अगर धूप बने
मैं तेरा साया बनता हूँ
राह का तेरे मुसाफिर हूँ
सहमे सहमे से उन लम्हो को
बड़ी शिद्दत से जिया था
तेरे रुखसार की शबनम हम
अश्कों की तरह पिया था
तेरी ही आहत सुनता हूँ
बस तेरे ख्वाब बुनता हूँ
हो तेरे इश्क़ में मैं काफ़िर हूँ
राह का तेरे मुसाफिर हूँ
संग पल पल चलता हूँ
महके महके जिस्म की आरिशें
ज़रा मुझपे बरसा दो
मेरे इश्क़ का तुम हमदम हम
गवाह रूह को बना दो
तेरा ही साँसों पे है पहरा
बिन तेरे लम्हा अभी ठहरा
हो तेरे इश्क़ में मैं काफ़िर हूँ
राह का तेरे मुसाफिर हूँ
संग पल पल चलता हूँ
तू जो अगर धूप बने
मैं तेरा साया बनता हूँ
राह का तेरे मुसाफिर हूँ
संग पल पल चलता हूँ