चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था
चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था
ना कसमें हैं ना रस्में हैं
ना शिकवे हैं ना वादे हैं
इक सूरत भोली भाली है
दो नैना सीधे साधे हैं
दो नैना सीधे साधे हैं
ऐसा ही रूप खयालों में था
जैसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था
चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था