[ Featuring ]
खुदा करे के ना रूठे कभी शबाब के दिन
नज़र में यार के हर दम बहार बनके रहो
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा
बात क्या क्या हुई रात कैसे कटी
हो हुस्न के सामने इश्क कैसे झुका
हो हुस्न के सामने इश्क कैसे झुका
बात क्या क्या हुई रात कैसे कटी
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा
दो दिलों के मिलन का वो नाजुक समा (समा)
रूह बरसों तड़पती है जिसके लिए (रूह बरसों तड़पती है जिसके लिए)
ये बदन चाँदनी जिसे पे कुर्बान है
देखते ही जिसे बुझ गये सब दिए
हो ऐसी हालत में क्या तुमने इनसे कहा (हो ऐसी हालत में क्या तुमने इनसे कहा)
हो ऐसी हालत में क्या तुमने इनसे कहा
बात क्या क्या हुई रात कैसे कटी
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा
जिंदगी जब उठी लेके अंगडाईयाँ
आरजू दिल में करवट बदलने लगी
हर अदा जब तेरी एक दुल्हन बन गयी
रात जुल्फ़ों के साये में चलने लगी
हो जब ये आलम था दोनों के जज़्बात का (हो जब ये आलम था दोनों के जज़्बात का)
हो जब ये आलम था दोनों के जज़्बात का (हो जब ये आलम था दोनों के जज़्बात का)
बात क्या क्या हुई रात कैसे कटी
हो हुस्न के सामने इश्क कैसे झुका
बात क्या क्या हुई रात कैसे कटी
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा