मैं ख़ुद हूँ चन्द्रमुखी पर चमक से डरती हूँ
अपने मुखड़े की अनोखी दमक से डरती हूँ
ये सोलहवाँ जो लगा साल इसने मार दिया
अब तो पायल की ज़रा सी छमक से डरती हूँ
आ आ आ
अकेली हूँ मैं पिया आ
अकेली हूँ मैं पिया आ
रूप नगर की कुंवरी तरसे
रूप नगर की कुंवरी तरसे
राजा प्रीत निभा
अकेली हूँ मैं पिया आ
रूप की धुप में जलू सैयां
रूप की धुप में जलू सैयां
कर दे प्यार की शीतल छैयां
रूप की धुप में जलू सैयां
कर दे प्यार की शीतल छैयां
अब और मत जला
अकेली हूँ मैं पिया आ
रूप नगर की कुंवरी तरसे
रूप नगर की कुंवरी तरसे
राजा प्रीत निभा
अकेली हूँ मैं पिया आ
जब जब देखूँ मैं दर्पण में
जब जब देखूँ मैं दर्पण में
आग सी लगती नाज़ुक तन में
जब जब देखूँ मैं दर्पण में
आग सी लगती नाज़ुक तन में
का करूँ तू ही बता
अकेली हूँ मैं पिया आ
रूप नगर की कुंवरी तरसे
रूप नगर की कुंवरी तरसे
राजा प्रीत निभा
अकेली हूँ मैं पिया आ