[ Featuring ]
शरमा के ये क्यूं सब परदानशीं
शरमा के ये क्यूं सब परदानशीं
आँचल को सँवारा करते है
शरमा के ये क्यूं सब परदानशीं
आँचल को सँवारा करते है
शरमा के ये क्यूं सब परदानशीं
आँचल को सँवारा करते है
शरमा के ये क्यूं सब परदानशीं
आँचल को सँवारा करते है
आँचल को सँवारा करते है
आँचल को सँवारा करते है
कुछ ऐसे नजर वाले भी है जो
छुप छुप के नजारा करते है
कुछ ऐसे नजर वाले भी है जो
छुप छुप के नजारा करते है
शरमा के ये क्यूं सब परदानशीं
आँचल को सँवारा करते है
बेताब निगाहों से कह दो
जलवो से उलझना ठीक नहीं
जलवो से उलझना ठीक नहीं
जलवो से उलझना ठीक नहीं
बेताब निगाहों से कह दो
जलवो से उलझना ठीक नहीं
जलवो से उलझना ठीक नहीं
आना संभल के परदानशींनो के सामने
झुकती है जिन्दगी भी हसीनों के सामने
महफिल में हुस्न की जो गया शान से गया
जिसने नजर मिलाई वही जान से गया
बेताब निगाहों से कह दो
जलवो से उलझना ठीक नहीं
जलवो से उलझना ठीक नहीं
जलवो से उलझना ठीक नहीं
ये नाजो अदा के मतवाले
बे मौत भी मारा करते है
ये नाजो अदा के मतवाले
बे मौत भी मारा करते है
शरमा के ये क्यूं सब परदानशीं
आँचल को सँवारा करते है
कोई ना हसीनों को पूछे
दुनिया मे ना हो अगर दिलवाले
दुनिया मे ना हो अगर दिलवाले
दुनिया मे ना हो अगर दिलवाले
कोई ना हसीनों को पूछे
दुनिया मे ना हो अगर दिलवाले
दुनिया मे ना हो अगर दिलवाले
नजरें जो ना होती तो
नजारा भी ना होता
दुनियांमें हसीनो का
गुजारा भी ना होता
नज़रो ने सिखाई इन्हे
शोखी भी हया भी
नज़रो ने बनाया है इन्हे
खुद भी खुदा भी
कोई ना हसीनों को पूछे
दुनिया मे ना हो अगर दिलवाले
दुनिया मे ना हो अगर दिलवाले
दुनिया मे ना हो अगर दिलवाले
ये हुस्न की इज्जत रखने को
हर जुल्म गवारा करते है
ये हुस्न की इज्जत रखने को
हर जुल्म गवारा करते है
कुछ ऐसे नजर वाले भी है जो
छुप छुप के नजारा करते है
छेडे ना मोहब्बत के मारे
इन चाँद सी सूरत वालो को
इन चाँद सी सूरत वालो को
इन चाँद सी सूरत वालो को
छेडे ना मोहब्बत के मारे
इन चाँद सी सूरत वालो को
इन चाँद सी सूरत वालो को
अर्ज कर दो ये नुक्ताचीनों से
के रहे दूर नाजनीनों से
अगर ये खुश हो तो
उलफत का ऐहतराम करें
अगर जरा भी खफा हो तो
कत्ले आम करे
छेडे ना मोहब्बत के मारे
इन चाँद सी सूरत वालो को
इन चाँद सी सूरत वालो को
इन चाँद सी सूरत वालो को
ये शौक नजर के खंजर भी
सीने में उतारा करते है
ये शौक नजर के खंजर भी
सीने में उतारा करते है
शरमा के ये क्यूं सब परदानशीं
आँचल को सँवारा करते है