मध् माया में लूटा रे कबीरा हो
मध् माया में लूटा रे कबीरा
कांच को समझा कंचन हिरा
झर गए सपने पाती पाती
आँख खुले तोह सब धन माटि
आँख खुले तोह सब धन माटि
हो सपने है लाल जवाहर थाले हो
सपने है लाल जवाहर थाले
हीरे मानिक मोती ही रौले
महल दुमहले घोड़े हाथी
आँख खुले तोह सब धन माटि
आँख खुले तोह सब धन माटि
खुल गयी जेहि दिन करम गठरिया आ
हो खुल गयी जेहि दिन करम गठरिया
धू धू बर गयी सपन नगरिया
कोयला हो गयी सारी चंडी
आँख खुले तोह सब धन माटि
आँख खुले तोह सब धन माटि