मेरी आदत मेरा हिस्सा कट गया
तेरे होने का वह किस्सा बट गया
नई धुप की तालाश में
रोज़ घर से निकलती
धुंधली निगाहें मेरी
राह नहीं मिलती
चुप हो गयी ज़िन्दगी
घूम हो गयी रोशिनी
राख बन उड़ रही ख़ामोशी
सब कुछ कांच का है टूटता
कोई कब तक साथ है यह किसको पता
मेरी रूह चिन सी गयी है
मैं कैसे ज़िंदा हूँ
चीखती है ख़ामोशी
शोर कैसे मैं सुनु
चुप हो गयी ज़िन्दगी
घूम हो गयी रोशिनी
चुप हो गयी ज़िन्दगी
राख बन उड़ रही ख़ामोशी
राख बन उड़ रही ख़ामोशी