[ Featuring Prakriti Kakar, ]
शर्म हटा दे जो सब गिरा ले आँखों पे
प्यास मिटा दे वो नमी चुरा ले होठों से
मैं जलती रातें तेरी तू वो सुबह जो बुझा दे
भीग लूँ, भीग लूँ, आज मैं
तेरी बारिश में
भीग लूँ, भीग लूँ, आज मैं
तेरी बारिश में भीग लूँ
आ होठों पे ख्वाहिश तू बुन ले
बाकी जो हसरत वो चुन ले
बिखरे हैं जो कतरे मेरे हो
हाँ तन से तन उलझले ज़रा
फिर से मन सुलगा ले ज़रा
चखने तो दे टुकड़े तेरे
मैं जलती रातें तेरी
तू वो सुबह जो बुझा दे
भीग लूँ, भीग लूँ
आज मैं तेरी बारिश में
भीग लूँ भीग लूँ आज मैं
तेरी बारिश में भीग लूँ
आ ये रातें लम्बी तू कर दे
चिंगारी रग रग में भर दे
शर्मो से तू शर्मो हाया
हो हाँ रख ले तू लब को लब पे
मैं गुज़रूं मेरी हदों से
ठहरुं कहाँ कुछ तो बता
मैं जलती रातें तेरी
तू वो सुबह जो बुझा दे
भीग लूँ, भीग लूँ
आज मैं तेरी बारिश में
भीग लूँ भीग लूँ, भीग लूँ
आज मैं तेरी बारिश में भीग लूँ