[ Featuring ]
वो अचानक आ गई, यूँ नज़र के सामने
जैसे निकल आया घटा से चाँद
वो अचानक आ गई, यूँ नज़र के सामने
जैसे निकल आया घटा से चाँद
चेहरे पे ज़ुल्फ़ें, बिखरी हुई थीं
दिन में रात हो गई
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात हो गई
फिर क्या हुआ, ये ना पूछो
कुछ ऐसी बात हो गई
जान-ए-मन जान-ए-जिगर, होता मैं शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरी अदाओं पर
ओ जान-ए-मन जान-ए-जिगर, होता मैं शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरी अदाओं पर
मैंने ये कहा जो, मुझसे ख़फ़ा वो
जान-ए-हयात हो गई
एक अजनबी हसीना से
यूँ मुलाकात हो गई
फिर क्या हुआ, ये ना पूछो
कुछ ऐसी बात हो गई