चाय की खुशबू, यादों की डोरी,
दिल में बसी है वो मीठी सी कहानी पुरानी।
चाय की चमक, और दोस्ती की झलक,
हर घूंट में बसी, वो मीठी सी कसक।
गली के नुक्कड़ पे, मिलते थे हर रोज,
चाय की प्याली में, ढूँढ़ते थे हम सोज़।
लड़की की हंसी, लड़के की शरारत,
चाय की दुकान पे, मस्ती की सवारी।
किस्से कहानियों में, बीतते थे पल,
वो वक्त था हमारा, सच्ची दोस्ती का हल।
चाय की चमक, और दोस्ती की झलक,
हर घूंट में बसी, वो मीठी सी कसक।
गली के नुक्कड़ पे, मिलते थे हर रोज,
चाय की प्याली में, ढूँढ़ते थे हम सोज़।
वो चाय वाला अंकल, और उसकी मुस्कान,
उसने भी देखे थे, हमारे प्यार के अरमान।
संग बैठकर, सुनाते थे दिल की बातें,
वो छोटे छोटे लम्हें, बन गए यादों के खजाने।
वक्त बदला, हम भी बदल गए,
पर वो यादें, दिल से नहीं गईं।
फिर मिलेंगे, उसी चाय की दुकान पे,
जहाँ दोस्ती की राहें, कभी नहीं मिटीं।
चाय की चमक, और दोस्ती की झलक,
हर घूंट में बसी, वो मीठी सी कसक।
साथी हो तुम, हर सफर में मेरे,
चाय की प्याली में, यादों की चमक।
चाय की चमक, और दोस्ती की झलक,
हर घूंट में बसी, वो मीठी सी कसक।
चाय की चमक, और दोस्ती की झलक,
हर घूंट में बसी, वो मीठी सी कसक।